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कैसे चुनाव जीतती है BJP:हर 30 वोटर पर एक इंचार्ज, महीने के आखिर में काम का रिव्यू

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देश के 28 राज्यों में से 12 में अपनी सरकार, 5 राज्यों में गठबंधन की सरकार, देश के करीब 58% लैंड एरिया और 57% आबादी पर राज। ये इलेक्शन विनिंग मशीन बन चुकी BJP की प्रोफाइल है।
2014 के पहले नॉर्थ ईस्ट में BJP का नामोनिशान नहीं था, आज वहां के 4 राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा में BJP की सरकार है। मेघालय, नगालैंड और सिक्किम में पार्टी सरकार चला रहे गठबंधन का हिस्सा है।

39 साल के राजकुमार विश्वकर्मा 2007 से BJP में है। वे मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मध्य विधानसभा में पन्ना प्रमुख हैं। हफ्ते में कम से कम 4 दिन पार्टी को देते हैं, बाकी टाइम अपना बिजनेस करते हैं।

राजकुमार उन कार्यकर्ताओं में शामिल हैं, जिन्होंने 2014, यानी PM मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से पहले वाले BJP संगठन में भी काम किया है और अब भी कर रहे हैं। वे कहते हैं, ‘2014 तक सब कुछ रजिस्टर पर था। 11 लोगों की एक कमेटी बनती थी। इसमें तीन महिलाएं होती थीं, बाकी लोग जाति और धर्म के हिसाब से होते थे। आबादी के लिहाज से तय किया जाता था कि सबकी हिस्सेदारी रहे।’

‘2014 के बाद से पार्टी डिजिटल हो गई है। अब नमो ऐप से कमेटियां बनती हैं। संगठन ऐप से बाकी काम होते हैं। हर चीज का डेटा रखा जाता है। मान लीजिए मंडल अध्यक्ष आज कोई और है, कल कोई और होगा, लेकिन जो भी आएगा, उसे अपने एरिया का पूरा डेटा मिल जाएगा। वो भी अपडेट किया हुआ। सब कुछ डिजिटल होने से डेटा अपडेट करने की सुविधा हो गई है, ये काम रजिस्टर में करना मुश्किल था।’5 से 6 परिवारों की जिम्मेदारी, उनका सुख-दुख सब अपना
आखिर पन्ना प्रमुख काम कैसे करते हैं, किसे रिपोर्ट करते हैं, कैसे पार्टी छोटे-बड़े हर चुनाव जीत जाती है या कड़ी टक्कर देती है? इन सवालों पर राजकुमार कहते हैं, ‘मैं पन्ना प्रमुख हूं। मेरे अंडर में 29 लोग आते हैं। मुझे मिलाकर 30 लोग हुए। ये 29 लोग ही मेरा परिवार हैं।’

‘29 लोग, यानी मेरे एरिया के 5 से 6 परिवार। अब मैं इनके हर दुख-सुख में शामिल होता हूं। इन्हें पार्टी के बारे में बताता हूं। पूरे 5 साल इनके टच में रहता हूं। वोटिंग के दिन देखता हूं कि ये वोट डालने पहुंचे या नहीं। ये भी हमारी जिम्मेदारी है कि जो लोग बूथ तक जा रहे हैं, वो हमारी पार्टी को ही वोट दें।’

एक बूथ पर 800 से 900 लोग होते हैं। इनमें 25 से 31 पन्ना प्रमुख होते हैं। एक पन्ना प्रमुख की टीम में 30 लोग ही क्यों होते हैं? इस पर राजकुमार कहते हैं, ‘निवार्चन आयोग के एक पेज पर 30 वोटर्स के नाम होते हैं। इसलिए हम भी 30 लोगों की लिस्ट बनाते हैं। हम वोटर लिस्ट के एक पन्ने के प्रमुख होते हैं।’

‘पहले पन्ना प्रमुख बूथ के अध्यक्ष को रिपोर्ट करता था। अब शक्ति केंद्र बन गए हैं। इनमें एक संयोजक, एक सह-संयोजक, एक प्रभारी, एक IT हेड और एक मंडल पदाधिकारी होते हैं। बूथ समितियां शक्ति केंद्र के प्रमुख को रिपोर्ट करती हैं। शक्ति केंद्र के प्रमुख मंडल में रिपोर्ट करते हैं। मंडल से रिपोर्ट जिलाध्यक्ष और वहां से प्रदेश संगठन तक पहुंचती है।’

‘पन्ना प्रमुखों की हर महीने के आखिरी रविवार को मीटिंग होती है। पहले हम PM मोदी का ‘मन की बात’ कार्यक्रम सुनते हैं, फिर महीनेभर के कामकाज का रिव्यू करते हैं। पार्टी से जो काम मिले थे, वो सही तरीके से हुए या नहीं, नहीं हुए तो क्यों नहीं हुए, इस पर बात होती है।’फिलहाल, BJP के पन्ना प्रमुख लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लग गए हैं। ये कैंपेन राम मंदिर से जोड़कर शुरू किया गया है। संगठन ऐप के जरिए रिव्यू भी शुरू हो चुका है। ऐसे कार्यकर्ता जो बाहर चले गए हैं या एक्टिव नहीं हैं, उनकी जानकारी जुटाई जा रही है। कार्यकर्ताओं को PM मोदी की स्कीम्स ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है।कोई हमारी बात नहीं सुनता, तो मंडल के पदाधिकारियों से बोलते हैं
राजकुमार की तरह सिद्धार्थ सोनवने भी पन्ना प्रमुख हैं।। 8-10 साल से BJP के लिए काम कर रहे हैं। वे कहते हैं, ‘मेरे पास स्लम एरिया आता है। मुझे सरकार की योजनाएं नीचे तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मिली है। हमारे एरिया के लोगों के जो काम नहीं हो पाते हैं, मैं उन्हें नगर निगम और दूसरे विभागों से करवाता हूं।’

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