इस जिंदगी ने मुझे असंख्य दुख और थोड़ी सी खुशियां दी हैं। मेरा जीवन उस किताब की तरह है, जिसमें सिर्फ कड़वे अनुभव दबे हुए हैं। जब ये बाहर निकलता है, तो असहनीय दर्द होता है। मैं बहुत इमोशनल हूं। मैंने हमेशा अपना जीवन दिल से जिया है। इसके लिए मैंने हद से ज्यादा तकलीफें सही हैं।
कुरान और बाइबिल जैसी किताबों में कहा गया है कि अगर आप अच्छा करते हैं, तो आपके साथ भी अच्छा होता है। मेरे साथ ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। जब भी मैंने अच्छा किया, तो मुझे तकलीफों के अलावा कुछ नहीं मिला।’
ये बात खुद मधुबाला ने फिल्मफेयर को दिए इंटरव्यू में कही थीं। मधुबाला को भारत की मर्लिन मुनरो कहा जाता था। माना जाता था कि वो हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत एक्ट्रेस रहीं, लेकिन उनकी जिंदगी उतनी ही फीकी रही।
किताब- दर्द का सफर में सुशीला कुमारी ने लिखा है- ‘मधुबाला एक अभिशाप लेकर पैदा हुई थीं। यह अभिशाप जीवन भर उनका पीछा करता रहा और यही अभिशाप उनकी असमय मौत का कारण बना। यह अभिशाप था उनके कोमल से दिल में छेद का होना और इस छेद ने न केवल उनकी उम्र बहुत छोटी कर दी, बल्कि उनके जीवन को कष्टों से भी भर दिया।
मधुबाला प्रेम के प्रतीक वैलेंटाइन डे पर पैदा हुई थीं। दर्द से भरा उनका दिल प्यार से भरा था। उन्होंने दूसरों पर भरपूर प्यार, अपनापन और ममत्व न्योछावर किया, लेकिन बदले में उन्हें किसी से कुछ नहीं मिला न प्यार, न अपनापन।’
मधुबाला ने 4 लोगों से प्रेम किया था, लेकिन किसी एक के साथ भी उनका रिश्ता मुकम्मल ना हो सका। फिर उन्होंने किशोर कुमार से शादी की, लेकिन जब आखिरी समय में बीमार पड़ीं तो उन्होंने भी उनसे मुंह मोड़ लिया। महज 36 साल की उम्र में 23 फरवरी 1969 को मधुबाला ने दुनिया को अलविदा कह दिया।पहली प्रेम कहानी- अधूरा रह गया पहला प्यार
कम उम्र में ही मधुबाला को पहला प्यार हो गया था। जब वो दिल्ली में रहती थीं तो वहां पर रहने वाले लतीफ को वो पसंद करने लगीं जो आगे एक IAS अधिकारी बने। जब लतीफ को पता चला कि मधुबाला को मुंबई शिफ्ट होना है तो वो बहुत दुखी हो गए। वो नहीं चाहते थे वो उनसे दूर जाएं। वहीं मधुबाला भी उनसे दूर नहीं होना चाहती थीं। जब मुंबई जाने से पहले दोनों की आखिरी मुलाकात हुई तो मधुबाला ने उन्हें गुलाब का एक फूल दिया जिसे उन्होंने ताउम्र संभाल कर रखा।
इधर मुंबई आने के बाद मधुबाला फिल्मों में बिजी हो गईं, लेकिन लतीफ उन्हें कभी भूल नहीं पाए। कहा ये भी जाता है कि मधुबाला के निधन के बाद लतीफ उनकी कब्र पर उनकी डेथ एनिवर्सरी पर जाते थे और उस पर गुलाब का एक फूल रख आते थे।
दूसरी प्रेम कहानी- शादीशुदा कमाल अमरोही मधुबाला को दूसरी पत्नी बनाना चाहते थे
1949 में बॉम्बे टॉकीज के बैनर तले फिल्म महल बनी। इस फिल्म के निर्देशक कमाल अमरोही थे। फिल्म के लिए पहले सुरैया को कास्ट किया जाना था, लेकिन स्क्रीन टेस्ट के बाद लीड रोल में मधुबाला को चुना गया। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही।
इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही मधुबाला और कमाल अमरोही एक-दूसरे के नजदीक आए। मधुबाला के पिता दोनों के रिश्ते से बहुत खुश थे। उन्होंने कहा- अगर आगे चलकर दोनों शादी कर लेते हैं तो मुझे कोई ऐतराज नहीं है।
मगर कमाल अमरोही पहले से शादीशुदा थे और वो अपनी पत्नी को छोड़ना नहीं चाहते थे। वो चाहते थे कि मधुबाला उनकी दूसरी पत्नी बन कर रहें, लेकिन मधुबाला को ये शर्त मंजूर नहीं थी। उनका कहना था कि वो अपने पति को किसी और के साथ बांट नहीं सकती हैं। उन्होंने कमाल अमरोही को पहली बीवी से तलाक लेने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसी वजह से दोनों का रिश्ता खत्म हो गया।तीसरी प्रेम कहानी- मधुबाला की कसम की वजह से प्रेमनाथ ने नहीं पी 14 साल तक शराब
1951 में रिलीज हुई बादल में मधुबाला प्रेमनाथ के साथ नजर आई थीं। शूटिंग के दौरान ही एक दिन मधुबाला प्रेमनाथ के मेकअप रूम में गईं और उन्हें लव लेटर और गुलाब दिया।
तब प्रेमनाथ समझ नहीं पाए कि क्या हो रहा है। जब उन्होंने लेटर पढ़ा तो उसमें लिखा था- अगर आप मुझसे प्यार करते हैं तो प्लीज ये गुलाब स्वीकार कर लें, वरना ये खत और फूल वापस कर दें। इस खत को पढ़कर प्रेमनाथ के होश उड़ गए। उन्हें इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था कि दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की ने उन्हें प्रपोज किया। उन्होंने खुशी-खुशी प्रपोजल को स्वीकार कर लिया।