बिहार के नए मंत्रिमंडल में भाजपा कर सकती है बड़ा उलटफेर; जदयू में कम बदलाव दिखेंगे बिहार में एनडीए की नई सरकार बनने से महज 5-6 घंटे पहले भाजपा ने सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाकर यह क्लियर कर दिया है कि अब बिहार का नया मंत्रिमंडल चौंकाने वाला ही होगा।
मप्र और राजस्थान के नए मंत्रिमंडल की तर्ज पर बिहार के नए मंत्रिमंडल से भी कई पुराने कद्दावर नेताओं की छुट्टी हो सकती है। इनकी जगह नए चेहरों की एंट्री हो सकती है। इनमें ऐसे भी नाम हैं जिनका नाम डिप्टी सीएम के लिए भी चला, लेकिन अब मंत्री भी बन जाए? इस पर संशय हैंराजस्थान और मध्य प्रदेश में बनी नई सरकार में पार्टी की तरफ से न केवल पूरी तरह नई टीम को मौका दिया गया है, बल्कि जातियों के समीकरण का भी ख्याल रखा गया है। वर्षों से जमे-जमाए चेहरों को बदल दिया गया।
राजस्थान में बीजेपी ने पूरी तरह से नए चेहरे पर दांव लगाया है। यहां 22 मंत्री में से 17 नए चेहरे हैं। इसके अलावा टेल, विश्नोई, जाट, सिख, देवासी, कुमावत, रावत, धाकड़, गुर्जर और माली समाज सभी जातियों को मंत्रिमंडल में जगह दिया गया है। हालांकि सबसे ज्यादा 4 मंत्री जाट समुदाय से बनाए गए हैं।
वहीं मध्य प्रदेश में भी 28 मंत्रियों में 22 नए चेहरे को मंत्रिमंडल में जगह दी गई। इनमें 7 सामान्य वर्ग से, 11 ओबीसी वर्ग से, 6 एससी वर्ग से और 4 एसटी वर्ग से हैं।जदयू में भाजपा का ट्रेंड फिट हो, जरूरी नहीं
भाजपा का यह नया ट्रेंड जदयू में भी होगा, इसकी गुंजाइश कम है, क्योंकि महागठबंधन सरकार में भी नीतीश कुमार ने अपने मंत्रियों को नहीं बदला था। केवल संतोष सुमन के जाने के बाद उनकी जगह रत्नेश सदा को मंत्री बनाया था। हालांकि नीतीश कुमार के बारे में भी पहले से कोई अनुमान लगाना मुश्किल ही है। वे भी अपने फैसलों से देशभर को चौंकाने के लिए ख्यात रहे हैं।
ऐसे में हमने बीजेपी व जेडीयू के कई नेताओं से नए मंत्रिमंडल के स्वरूप को समझने की कोशिश की। हालांकि, कैबिनेट विस्तार पर बीजेपी का कोई भी नेता ऑन रिकॉर्ड कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन ऑफ रिकॉर्ड उनका मानना है कि कैबिनेट में कुछ चौंकाने वाले नाम शामिल हो सकते हैं।
जेडीयू एक बार फिर से पुराने चेहरों पर दांव लगा सकती है
अब जेडीयू के पास प्रयोग करने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं हैं। जेडीयू की तरफ से लगभग ऐसा तय माना जा रहा है कि 2022 की तरह नीतीश कुमार एक बार फिर से पुराने चेहरे को ही रिपीट करेंगे।
बिजेंद्र यादव, श्रवण कुमार और विजय कुमार चौधरी को मंत्री पद की शपथ दिलाकर नीतीश कुमार ने इसके संकेत भी दे दिए हैं। इनके अलावा संजय झा, अशोक चौधरी और लेशी सिंह की गिनती नीतीश के करीबी नेताओं के रूप में होती है, तो मंत्रिमंडल में उनका शामिल होना भी तय माना जा रहा है। इस लिहाज से जेडीयू में ज्यादा फेरबदल की संभावना दिखाई नहीं दे रही है।एक झटके में भाजपा ने सारे कयास गलत साबित किए
पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि भाजपा का पूरा फोकस फिलहाल 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। ऐसे में उसकी पूरी कोशिश जातियों को साधने पर होगी। बिहार की सियासत में जातियों के समीकरण को बेहद अहम माना जाता है। ऐसे में एमपी और राजस्थान की तरह बिहार कैबिनेट में भी बीजेपी कई चौंकाने वाला नाम शामिल कर सकती है।
विजय कुमार सिन्हा और सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम की शपथ दिलाकर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने इसके संकेत भी दे दिए हैं। जबकि सरकार बनने से पहले ये माना जा रहा था कि एक बार फिर से बिहार की सियासत में सुशील कुमार मोदी की एंट्री हो सकती है। लेकिन सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को नीतीश कुमार का डिप्टी सीएम बनाकर भाजपा ने साफ कर दिया है कि किसी भी सूरत में पार्टी कमजोर नहीं दिखना चाहती है।बिहार में अतिपिछड़ों के साथ नए चेहरे पर दांव लगा सकती है भाजपा
बिहार कैबिनेट मे भाजपा आधे से ज्यादा नए चेहरे पर दांव लगा सकती है। इनमें भी ज्यादा संख्या अतिपिछड़े और कुशवाहा जाति से हो सकती है। 2024 के लिहाज से भी भाजपा का पूरा फोकस बिहार की 36 फीसदी अतिपिछड़ा जातियों को साधने का है।
नीतीश कुमार से गठबंधन का सबसे बड़ा कारण भी इसी को माना जा रहा है। सम्राट को डिप्टी सीएम बनाकर भाजपा ने पहले ही लव-कुश समाज को मैसेज देने की कोशिश की है। इसके अलावा भाजपा कैबिनेट में 10-15 फीसदी हिस्सेदारी सवर्ण को दे सकती है।बिहार कैबिनेट से सुशील मोदी एरा का हो सकता है अंत
पॉलिटिकल एक्सपर्ट की माने तो बीजेपी कैबिनेट ज्यादा से ज्यादा नए चेहरों को तवज्जो दे सकती है। जिस तरह 2020 की कैबिनेट से पुराने चेहरे नंद किशोर यादव, विजय कुमार सिन्हा, रामनारायण मंडल को जगह नहीं मिली थी।