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टेस्ट में खल रही कप्तान विराट की कमी:12 साल बाद घर में लगातार 3 टेस्ट बिना जीते गुजरे

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कप्तान रोहित शर्मा के कार्यकाल में एक ऐसा वाकया हो गया है जो पिछले 12 साल से नहीं हुआ था। भारतीय टीम इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला हार गई है। यह घरेलू जमीन पर लगातार तीसरा ऐसा टेस्ट मैच है जिसमें भारतीय टीम को जीत नसीब नहीं हुई है। ऐसा आखिरी बार 2012 में हुआ था।
क्या घरेलू परिस्थितियों में भारत के प्रभुत्व का लंबा दौर समाप्त हो रहा है? घरेलू टेस्ट मैचों में रोहित की कप्तानी विराट कोहली की तुलना में कमजोर साबित हो रही है? चलिए आगे जानते हैं।
44 टेस्ट मैच बाद आया ऐसा दौर
घरेलू जमीन पर करीब 12 साल और 44 टेस्ट मैच बाद ऐसा दौर आया है जब भारतीय टीम लगातार तीन टेस्ट मैचों में से एक भी नहीं जीत सकी। पिछला मौका 2012 में आया था। तब भारतीय टीम को इंग्लैंड के खिलाफ ही दो टेस्ट मैचों में हार मिली थी और एक मुकाबला ड्रॉ रहा था। इस बार के तीन ऐसे टेस्ट मैचों में से दो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रहे थे। इंदौर टेस्ट में भारत हारा था, जबकि अहमदाबाद टेस्ट ड्रॉ रहा था। अब हैदराबाद में इंग्लैंड ने हमें हरा दिया है।विराट कोहली की कप्तानी में घर में कभी नहीं हुआ ऐसा
विराट कोहली ने 2015 में टेस्ट टीम की कप्तानी संभाली। 5 नवंबर 2015 को उन्होंने भारतीय जमीन पर पहली बार टेस्ट में टीम की कप्तानी की। उनके कार्यकाल में भारत ने 31 टेस्ट मैच अपनी जमीन पर खेले। इन 31 मैचों में कभी ऐसा नहीं हुआ, जब भारत को लगातार तीन मुकाबलों में जीत न मिली हो।
विराट की अगुआई में भारत का भारत में जीत हासिल न कर पाने का सबसे लंबा दौर 2 टेस्ट मैचों का रहा। मार्च 2017 में एक टेस्ट ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ और इसके ठीक बाद एक टेस्ट श्रीलंका के खिलाफ ड्रॉ रहा था। गौर करने लायक बात यह है कि उन मुकाबलों में भी भारत हारा नहीं था।विराट कोहली ने 2015 से 2021 तक छह साल घरेलू मैदानों पर कप्तानी की। इस दौरान भारत ने घर में 31 टेस्ट मैच खेले। 24 में टीम को जीत मिली और सिर्फ 2 में हार का सामना करना पड़ा। 5 टेस्ट ड्रॉ रहे। विराट की कप्तानी में घर में इन 2 हार के बीच 4 साल का फासला था।
दूसरी ओर रोहित ने 2022 से टेस्ट में भारतीय जमीन पर भारतीय टीम की कमान संभाली है। उन्होंने यहां 7 टेस्ट में टीम की कमान संभाली। 4 में भारत को जीत मिली है। 2 में हार झेलनी पड़ी और 1 मैच ड्रॉ रहा है। रोहित की कप्तानी में भारत को घर में दो हार 10 महीने के अंदर मिली है।
ऊपर के तमाम फैक्ट से गुजरने के बाद यह तो साफ हो जाता है कि घरेलू जमीन पर रोहित की कप्तानी विराट जितनी सफल नहीं हो पा रही है। इसके पीछे की वजह तीन पॉइंट्स में समझते हैं…

1. ट्रांजिशन फेज से गुजर रही भारतीय टीम
टीम इंडिया में फिलहाल युवा खिलाड़ियों के जगह बनाने का दौर चल रहा है। यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल, मोहम्मद सिराज और श्रेयस अय्यर जैसे युवाओं ने चेतेश्वर पुजारा, ईशांत शर्मा और अजिंक्य रहाणे जैसे अनुभवी प्लेयर्स को रिप्लेस कर दिया है। कप्तान रोहित शर्मा का कहना है कि टीम मैनेजमेंट अब युवाओं पर भरोसा दिखाकर भविष्य के बारे में सोच रहा है। इसी को ट्रांजिशन फेज कहते हैं। यानी खिलाड़ियों के एक सेट का विदा होना और नए सेट का फील्ड पर उतरना।
ट्रांजिशन फेज में होने के कारण टीम में एकजुटता की कमी नजर आई और युवा खिलाड़ियों की अनुभवहीनता से भारत को 10 महीने में 2 हार का सामना करना पड़ गया। टीम इंडिया का आखिरी ट्रांजिशन फेज 2011 वर्ल्ड कप के बाद आया था। तब कोहली, रहाणे और पुजारा ने राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और सचिन तेंदुलकर को रिप्लेस किया था। रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा ने भी तब ही हरभजन सिंह और प्रज्ञान ओझा की जगह ली थी।
2012 के ट्रांजिशन फेज का असर ये हुआ कि टीम इंडिया ने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में 4-0 से 2 टेस्ट सीरीज गंवाईं। यहां तक कि भारत में भी टीम को इंग्लैंड के खिलाफ 2-1 से सीरीज हार का सामना करना पड़ गया। कोहली की कप्तानी में भी केएल राहुल, जसप्रीत बुमराह, अक्षर पटेल और कुलदीप यादव जैसे प्लेयर्स टीम में आए, लेकिन इस दौरान विराट, पुजारा, रहाणे, अश्विन और जडेजा ने अपने अनुभव से टीम को बिखरने नहीं दिया।विराट ने 2014-15 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहली बार टेस्ट कप्तानी की। उन्होंने 2 ही मैचों में कमान संभाली, एक में टीम को 48 रन से हार मिली और दूसरा मुकाबला ड्रॉ रहा। विराट ने इनमें 3 सेंचुरी लगाई और अपनी फील्ड प्लेसमेंट और एग्रेसिव कप्तानी से टीम को दोनों ही बार जीत के करीब पहुंचाया। वह आगे ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीत कर ही माने।

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