मुस्लिम भाइयों का महान धार्मिक त्योहार शब ए बारात को लेकर कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र के मूसापुर, बिनोदपुर, पवई, मधुरा, मरंगी आदि मुस्लिम बाहुल्य गांव में रविवार की शाम को मगरिब के नमाज के बाद ही लोगों का जमावड़ा मस्जिदों में होने लगा। ओलमाये एकराम के तकरीर ( प्रवचन ) के बीच व पूरी रात कुरान पाक की तिलावत, नमाज पढ़कर पूरी रात बिताई। औलमाये एकराम ने आगे अपने बयान में कहा कि शब-ए-बारात दो शब्दों से मिलकर बनी है, जिसमें शब का मतलब रात और बारात का मतलब छुटकारा है। यानी शब-ए-बारात की पाक रात को इबादत कर के इंसान हर गुनाह से छुटकारा पा सकता है। यह रात बहुत ही मुबारक रात है, इस रात में अल्लाह तबारक व ताला की रहमत और बरकतें उतरती है और दुआएं कुबूल होती है। यह रात मगफिरत वाली रात है, अल्लाह ताला इस रात में तमाम इंसानों के गुनाहों को माफ कर देते हैं। शर्त यह है कि वह अल्लाह के सामने रोए और गिर गिराये और अपने पिछले किए हुए कर्मों पर शर्मिंदा हो करके उससे तोबा करें तो अल्लाह ताला उसके तमाम पिछले करतूतों को माफ करके के अल्लाह ताला उसको बख्श देते हैं। इस रात के पहले हिस्से में अल्लाह ताला पहले आसमान पर आते हैं और अपने बंदों से कहते हैं है कोई बख्शीश चाहने वाला, मैं उसकी बख्शीश कर दूं, है कोई मुझसे किसी चीज का तलब करने वाला मैं उसकी तलब को पूरी कर दूं, है कोई बीमारी से शिफा चाहने वाला मैं उसको बीमारी से शिफा दे दूं, है कोई मुझसे गुनाहों से माफी चाहने वाला मैं उसके गुनाहों को माफ कर दूं। यह आवाज अल्लाह ताला मगरिब के बाद से लेकर के फज्र की नमाज़ तक लगाते रहते हैं। मगर इस रात में अल्लाह ताला छ्ह लोगों के दुआओं को कुबूल नहीं करते है। शीरक करने वाला, वालीदैन की नाफरमानी करने वाला, शराब पीने वाला, नाहक किसी को कत्ल करने वाला, चुगलखोरी करने वाला, पाजामा या पेंट नीचे लटका कर पहनने वाला इन छ्ह लोगों की दुआएं और इबादत इस रात में कुबूल नहीं होती है। जब तक वह सच्चे दिल से तोबा ना कर ले। इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि इस रात में अल्लाह ताला की इबादत करें। नफल नमाज़ पढ़ते हैं, कुरान शरीफ की तिलावत करते हैं। वहीं लोगों ने गुजरे खानदान मरहूम के लिए कब्रिस्तान जा कर भी बारगाहे इलाही में उसके और खुद के गुनाहों की माफी के लिए दुआ मांगी। मस्जिदों में अकीदत मंदों ने मुल्क में खुशहाली बन्धुत्व, अमन व शांति के लिए भी दुआ मांगी। मौके पर मौलाना ने कहा कि शब ए बरात इबादत की रात है। और खुशियों और बरकत वाली रात है। इस बा बरकत रात में जो लोग सच्चे दिल से रो रो कर खुदा की पाक जात से अपने गुनाहों से तौबा कर सही रास्ते पर चलने की दुआ मांगे तो अल्लाह पाक उनके दुआ कबूल कर सारे गुनाहों को माफ कर देते हैं। बहरहाल शब-ए-बारात के मौके पर रोशनी की काफी अच्छी व्यवस्था की गई थी। और पूरी रात सुकून भरा माहौल रहा और प्रखंड क्षेत्र के पीर दरगाह के मजार पर भी अकीदतमन्दों की काफी भीड़ देखे गई।