Home bhagwat katha भागवत कथा में जीवन में धर्म के मर्म को विस्तार से समझाया

भागवत कथा में जीवन में धर्म के मर्म को विस्तार से समझाया

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कटिहार जिला के कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सार्वजनिक दुर्गा मंदिर कोलासी परिसर में आयोजित नो दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के आठवें दिन श्रद्धालुगण एवं कथा श्रवण करने हेतु सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण पहुंचे। भागवत कथा में वृंदावन से आचार्य प्रमोद वशिष्ठ  महाराज ‘राधेय’ ने अपने प्रवचन में धर्म के मर्म को बहुत सूक्ष्मता से सरल भाषा में समझाया। उन्होंने मानव को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि समाज में प्रत्येक व्यक्ति के लिए समाज सेवा आवश्यक है धर्म के मार्ग पर चलने से हम शंकाओं और चिंता से मुक्त हो जाते हैं जीवन में यदि तनाव से मुक्ति चाहिए तो नैतिक आचरण जरूरी है छल कपट और दूर से दूर रहना होगा उन्होंने कहा कि सत्य ही परमात्मा है और सत्य के सहारे ही नर नारायण के समीप पहुंचा जा सकता है सत्य बोलने से जीव के पुण्य क्षण होते हैं। कहा कि यदि हमारा अचार्य विचार शुद्ध होगा तो कभी भी कलयुग हममें प्रवेश नहीं कर सकता है, कलयुग में केवल दान ही प्रधान है जबकि सतयुग में धर्म के चार तत्व थे। त्रेता में सत्य चला गया, द्वापर में सत्य और तप ना रहे, कलयुग में तो सत्य तप और पवित्रता दोनों चले गये। जीव केवल दान देकर और प्रभु नाम जप कर ही अपने जीवन को दिव्य बना सकता है। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि संसार के प्रत्येक जीव में परमात्मा का वास होता है। इसलिए किसी भी जीव को हानि न पहुंचावे। एवं सभी श्रद्धालुगण से मांस, मछली, मदिरा से दूर रहने को कहा। साथ ही साथ प्रतिदिन कुछ समय प्रभु की भक्ति करने को कहा। भक्ति से ही स्वस्थ मन एवं स्वच्छ समाज का निर्माण होता है। प्रतिदिन भागवत कथा में एक सुंदर झांकी का प्रदर्शन होता है। जिसका लुत्फ सभी श्रद्धालु गण उठाते हैं। भागवत कथा के अंतिम दिन हवन पूजा एवं कलश विसर्जन के साथ श्रीमद् भागवत कथा का समापन किया जाएगा। भागवत कथा को सफल बनाने में पूरे ग्राम वासी लगे हुए हैं।

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